Thursday, December 2, 2010

गाल ब्लेडर की पथरी का उपचार...




गाल ब्लेडर में एक छोटे पाउच जैसा अवयव है|जो यकृत के ठीक नीचे स्थित होता है|इस से आयुर्वेद में पित्ताशय कहा जाता है|गाल ब्लेडर में बन ने वाली पथरियों को गाल स्टोन या पित्ताशय की संघ्या दी जाती है|प्राय: गाल-ब्लेडर की पथरियां कोलेस्ट्रोल के किस्त्लों से निर्मित हुई होती हैं|कुछ पथरियां पित्त-लवणों से बनी होती हैं|वस्तुत:पित्त-लवण यकृत में निर्मित होने वाले पाचक तत्व हैं जो गाल ब्लेडर में स्टोर होता हैं|यह पथरियां आलपिन के सिर जितनी छोटी आकार वाली हो सकती हैं|कुछ पथरियां अखरोट की साइज तक भी हो सकती हैं|यघपि अभी तक यह सुस्पष्ट नही है की इनका निर्माण क्यूँ होता है लेकिन यह कहा जा सकता है की पित्त-का निर्माण वाले घटकों के असंतुलन से पैदा होती है|पित्त जूसों में कोलेस्ट्रोल की अत्यधिक बड़ी हुई मात्रा भी गाल ब्लेडर स्टोन का महत्वपूर्ण कारण है|

इस अवस्था में पैदा होने वाले प्रमुख लक्ष्ण इस प्रकार हैं|
.तेज पेट में दर्द
.उलटी करने का मन
.उलटी होना
.पसीना आना
.पीलिया

आयुर्वेदिक अचूक उपचार:

प्रमुख ओषधियाँ जिनका रोगी के लक्षणों या प्रकृति,वय,देश,काल,ऋतू के अनुरूप सेवन करना चाहिए|
आरोग्य-वर्धनी वटी,प्रवाल-पंचामृत रस,गिलोय सत,हल्दी चूर्ण,कुटकी का चूर्ण ,ताम्र-भस्म,निम्बू का रस,एलोवीरा का जूस,काला नमक,सेंध नमक,सांभर नमक,समुन्द्र नमक ,नोसाद्र लेना चाहिए|तेज दर्द की स्थिति में वृक्क शूलान्त्क वटी शूल वजिर्नी वटी देने से लाभ मिलता है|



निषेध :

कोलेस्ट्रोल पर नियंत्रण रखें|पित्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाना भी गाल स्टोन का प्रमुख कारण है|पित्त में स्थित तत्वों में जब कोलेस्ट्रोल की मात्रा ज्यादा हो जाती है|तब कोलेस्ट्रोल गाल ब्लेडर में नीचे की और जमने लगता है|जो शलेश्म कणों के चारोंऔर एक परत के रूप में बैठ जाता है,इसके ऊपर केल्शियम बिलिरुबिनेट (जो कल्शियम और बिलीरूबिन के मिलने से बनता है)की परत बैठ जाती है|इस तरह वारी-वारी से दोनों तरह की परतों में जम जाने से गाल ब्लेडर स्टोन बन जातें हैं|

कोलेस्ट्रोल पर नियंत्रण रखने हेतु सेवनिय असेव्नीय आहार-उच्च स्टार्च अवम फाइबर-युक्त खाद पदार्थ ,वसा का सेवन कम करें|

माखन-दूध सेवनिय मिठाइयाँ अवम दूध से बनी खाद पदार्थ-वनस्पति घी,पॉम आयल,तले हुए पदार्थ,सफेद चिन्नी,पोलिश किया हुआ चावल मना है |

विविध शोध कार्यों मैं यह पाया जाता है की हल्दी का कम से कम एक ग्राम की मात्रा में दैनिक सेवन करते रहने से
ट्राय गिल्स्राईद अवम टोटल कोलेस्ट्रोल के स्तरों में गिरावट आती है|आयुर्वेदिक ओषधि गुग्गुल से बने हुए केप्सूल भी बेहद लाभप्रद हैं|दो केप्सूल अथवा एक केप्सूल सवेरे-सायं सेवनीय हैं|अनुपान में गर्म-पानीसे सेवनीय है|ध्यान दें की केप्सूल निगलने के आधा घंटा पहले और आधा घंटे बाद कुछ भी नही खाएं|.

ईसाबगोल के नियमित सेवन से भी कोलेस्ट्रोल नियंत्रित रहता है|पांच से दस ग्राम में इसकी भूसी का सेवन करें|तत्पश्चात पर्याप्त मात्रा में पानी पिएँ |

लहसुन का सेवन किसी भी रूप में करने से रक्त्ग्त-कोलेस्ट्रोल स्तर गिरता है|आंवला कोलेस्ट्रोल के बाद हुए स्तरों को प्रभावशाली ढंग से नियंत्रित कर देता है|आंवले में दो ख़ास बातें पाई जाती हैं,पहली यह विटामिन सी का उत्तम स्त्रोत है|दूसरी इसने प्रचुर मात्रा में पेक्टिन रेशे पाए जातें हैं|

अनार का रस,दाना मेथी,अंगूर,प्याज,किशमिश,त्रिफला,छाछ,भूने हुए चने भी कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने के लिए राम बाण हैं|

२५० गरम धनिया २५० ग्राम जीरा(सफेद)लेकर बारीक कपड़े में छान लें इसके बाद चूर्ण तेयार कर लें|तीन से छे ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण सवेरे खाली पेट पानी के साथ सेवन करें इस प्रकार शाम को भी सेवन करेंइसके सेवन के आधे घंटे आगे, पीछे कुछ नही सेवन करें|

डाइटिंग करने से बचें|यदि आप तेजी से वजन घटाते हैं तो भी गाल स्टोन होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं|धुम्रपान करने से बचें|

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